यूँ देखने को देखते रहते हैं ख़्वाब लोग

यूँ देखने को देखते रहते हैं ख़्वाब लोग

रखते हैं रोज़-ओ-शब का भी लेकिन हिसाब लोग

इक रोज़ ज़िंदगी ने किया था कोई सवाल

क्या जाने कब से ढूँड रहे हैं जवाब लोग

हर चेहरा-ए-सवाल से करते हो ख़ुद सवाल

तुम लोग भी हो शहर में क्या ला-जवाब लोग

हर आसमाँ को अपनी ज़मीं तक उतार लाए

क्या क्या न कर गुज़रते हैं ख़ाना-ख़राब लोग

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In Hindi By Famous Poet Shahid Ahmad Shoaib. is written by Shahid Ahmad Shoaib. Complete Poem in Hindi by Shahid Ahmad Shoaib. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.