सुकूँ का एक भी लम्हा जो दिल को मिलता है

सुकूँ का एक भी लम्हा जो दिल को मिलता है

ये दिल ख़याल की वादी में जा निकलता है

ये रौशनी मिरे दिल में तिरे ख़यालों की

कि इक चराग़ सा वीराँ-कदे में जलता है

महक रही है तिरी याद की कली ऐसे

कि फूल जैसे बयाबाँ में कोई खिलता है

ख़ला में मेरी नज़र जब कहीं अटकती है

तिरे वजूद का पैकर वहीं पे ढलता है

नज़र में तारे से 'शाहीं' चमकने लगते हैं

ये दिल जो शिद्दत-ए-जज़्बात से मचलता है

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In Hindi By Famous Poet Shaheen Siddiqui. is written by Shaheen Siddiqui. Complete Poem in Hindi by Shaheen Siddiqui. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.