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ज़रूरत क्या है - शाहीन मुफ़्ती कविता - Darsaal

ज़रूरत क्या है

इस क़दर हम से गुरेज़ाँ क्यूँ हो

कुछ नहीं हम हैं फ़क़त अक्स-ए-ख़याल

एक तस्वीर का धुँदला सा निशाँ

हर्फ़-ओ-मा'नी के पुर-असरार तसलसुल में कहीं

अन-कही बात का एहसास-ए-ज़ियाँ

अजनबी शहर में चलते चलते रास्ता हाथ पकड़ ले तो रुको

जिस तरह तेज़ हवा आ के दरीचे पे कभी

दस्तकें देती है चुप चाप पलट जाती है

और गुज़रगाह-ए-समाअ'त में फ़क़त गूँजते हैं

उस के क़दमों के निशाँ

जो यक़ीं हैं न गुमाँ

किसी इक लम्हा-ए-गुज़राँ की हक़ीक़त क्या है

कार-ए-उल्फ़त भी अगर कार-ए-अज़िय्यत है तो फिर

आख़िर इस कार-ए-अज़िय्यत की ज़रूरत क्या है

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In Hindi By Famous Poet Shaheen Mufti. is written by Shaheen Mufti. Complete Poem in Hindi by Shaheen Mufti. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.