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कुत्ते - शाहीन इक़बाल असर कविता - Darsaal

कुत्ते

ये माना बहुत काम आते हैं कुत्ते

कि चोरों को पल में भगाते हैं कुत्ते

नहीं रहने देते हैं सुनसान उस को

मोहल्लों की ज़ीनत बढ़ाते हैं कुत्ते

मगर उन की ख़सलत है अपनों से लड़ना

कि कुत्तों पे ख़ुद ग़ुरग़ुराते हैं कुत्ते

अगर जमा हो जाएँ कुत्ते बहुत से

तो फिर असलियत भी दिखाते हैं कुत्ते

जो बोरे को लटकाए चुनता हो काग़ज़

तो फिर जान को उस की आते हैं कुत्ते

नजिस और नापाक है जिस्म उन का

जभी तो नहीं हम को भाते हैं कुत्ते

वहाँ पर है तादाद उन की ज़ियादा

जभी लोग फॉरेन से लाते हैं कुत्ते

कई ऐसे फैशन के मारे भी हैं अब

कि पहलू में अपने सुलाते हैं कुत्ते

फ़रिश्तों को आने से वो रोकते हैं

घरों की जो ज़ीनत बनाते हैं कुत्ते

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