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नक़दी कहाँ से आएगी - शाहीन ग़ाज़ीपुरी कविता - Darsaal

नक़दी कहाँ से आएगी

पहले रातें इतनी लम्बी कब होती थीं

जो भी हिसाब और खेल हुआ करता था

सब मौसम का था

रोज़-ओ-शब की हर साअ'त का इक जैसा पैमाना था

अपने मिलने वाले सारे

झूटे सच्चे

यारों से इक मुस्तहकम याराना था

लेकिन

अपने दर्द की सम्तों की पहचान न रखने वाले दिल

ये सोचना था

हर ख़्वाब की क़ीमत होती है

और अब इन दो आँखों में इतने

तरह तरह के

दुनिया भर के ख़्वाब भरे हैं

इन में से इक इक को गिन कर

सब के मुनासिब दाम चुकाना

इस के लिए तो दो सदियाँ भी कम होंगी

कंगले

इतनी नक़दी कहाँ से आएगी

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In Hindi By Famous Poet Shaheen Gazipuri. is written by Shaheen Gazipuri. Complete Poem in Hindi by Shaheen Gazipuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.