रात दिन
मौत है मसरूफ़-ए-मशक़्क़त
मिरे अज्दाद की मानिंद
कि जो एड़ियाँ घिस घिस के जिए
और मरे
ज़िंदगी रहम के क़ाबिल
ये तस्लीम
मगर
मौत भी कितनी शिकस्ता है
ज़रा देखो तो
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Habib Jalib
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Gulzar
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
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सिक्का पानी और सितारा
यूँ उलझ कर रह गई है तार-ए-पैराहन में रात
शहर-ए-ख़ूबाँ से जो हम अब भी गुज़र आते हैं
मौत भी रहम के क़ाबिल है
दुनिया ने बस थका ही दिया काम कम हुए
नक़दी कहाँ से आएगी
ये भी शायद तिरा ए'जाज़-ए-नज़र है ऐ दोस्त
हैरानी का बोझ
थी कुछ न ख़ता फिर भी पशेमान रहे हैं
ख़ाक-ए-दिल कहकशाँ से मिलती है
चेहरों में नज़र आएँ आँखों में उतर जाएँ
तन्हाई