Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_e43f7305fe03337aa18406ad31d34636, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
क़ुबूल है ग़म-ए-दुनिया तिरे हवाले से - शाहीन ग़ाज़ीपुरी कविता - Darsaal

क़ुबूल है ग़म-ए-दुनिया तिरे हवाले से

क़ुबूल है ग़म-ए-दुनिया तिरे हवाले से

ये बोझ वर्ना सँभलता नहीं सँभाले से

सुराग़ अपना उधर ही कहीं मिले शायद

तने हुए हैं जिधर मकड़ियों के जाले से

मैं एक ज़र्रा-ए-आवारा और मिरी ख़ातिर

समुंदरों सी ये रातें ये दिन हिमालय से

खुली तो रखता हूँ मैं घर की खिड़कियाँ लेकिन

वही तमाम नज़ारे हैं देखे-भाले से

किसी की याद भी उनवान-ए-बेवफ़ाई थी

पड़े हैं पाँव में क़ब्ल-ए-सफ़र भी छाले से

सुकून कितना है जी को ये सोच कर कि हमें

हरम से कोई इलाक़ा न अब शिवाले से

ये कम नहीं कि मैं उस की दुआ में शामिल हूँ

कुछ और चाहिए क्या दूर जाने वाले से

(532) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Shaheen Gazipuri. is written by Shaheen Gazipuri. Complete Poem in Hindi by Shaheen Gazipuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.