हम पे जिस तौर भी तुम चाहो नज़र कर देखो
हाँ मगर बाम की रिफ़अत से उतर कर देखो
आबला-पाई की लज़्ज़त भी अजब लज़्ज़त है
साकिनो दश्त में इक बार सफ़र कर देखो
फूल ही फूल दमकते हैं कराँ-ता-ब-कराँ
शो'ला-ज़ार-ए-ग़म-ए-हस्ती से गुज़र कर देखो
ये तो मालूम है आएगा न कोई लेकिन
आज की रात भी 'शाहीन' सहर कर देखो