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गर्म-जोशी के नगर में सर्द-तन्हाई मिली - शाहीन बद्र कविता - Darsaal

गर्म-जोशी के नगर में सर्द-तन्हाई मिली

गर्म-जोशी के नगर में सर्द-तन्हाई मिली

चाँदनी उस पैकर-ए-ख़ाकी को गहनाई मिली

बुझ गया फिर शाम के सहरा में सूरज का ख़याल

फिर मह-ओ-अंजुम को जी उठने की रुस्वाई मिली

फिर कोई मिस्ल-ए-सबा आया है सहन-ए-ख़्वाब में

फिर मिरे हर ज़ख़्म को यादों की पुर्वाई मिली

इक पुराने नक़्श के मानिंद सूरज बुझ गया

शब के शाने पर सितारों की घटा छाई मिली

ख़ूबसूरत आँख को इक झील समझा था मगर

तैरने उतरा तो सागर की सी गहराई मिली

फिर फ़ज़ा में रच गई है ज़ख़्म-ए-ताज़ा की महक

फिर मिरी पलकों को 'शाहीन-बद्र' गोयाई मिली

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In Hindi By Famous Poet Shaheen Badr. is written by Shaheen Badr. Complete Poem in Hindi by Shaheen Badr. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.