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उदासी ने समाँ बाँधा हुआ है - शाहबाज़ रिज़्वी कविता - Darsaal

उदासी ने समाँ बाँधा हुआ है

उदासी ने समाँ बाँधा हुआ है

ख़ुशी के साथ फिर धोका हुआ है

मुझे अपनी ज़रूरत पड़ गई है

मिरे अंदर से अब वो जा चुका है

कहानी से अजब वहशत हुई है

मिरा किरदार जब पुख़्ता हुआ है

मैं हर दर पर सदाएँ दे रहा हूँ

कोई आवाज़ दे कर छुप गया है

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In Hindi By Famous Poet Shahbaz Rizwi. is written by Shahbaz Rizwi. Complete Poem in Hindi by Shahbaz Rizwi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.