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गरमी-ए-पहलू-ए-दिलदार ने सोने न दिया - शहबाज़ नदीम ज़ियाई कविता - Darsaal

गरमी-ए-पहलू-ए-दिलदार ने सोने न दिया

गरमी-ए-पहलू-ए-दिलदार ने सोने न दिया

मुझ को रंगीनी-ए-अफ़कार ने सोने न दिया

यूँही तकता रहा तारों को सहर होने तक

रात भर दीदा-ए-बेदार ने सोने न दिया

रात भर लज़्ज़त-ए-क़ुर्बत से रहा महव-ए-कलाम

रात भर मुझ को मिरे यार ने सोने न दिया

रात भर जागा किए पलकें न झपकीं हम ने

रात भर इश्क़ के आज़ार ने सोने न दिया

रात भर दिल के धड़कने की सदा आती रही

रात भर साया-ए-दीवार ने सोने न दिया

रात भर याद-ए-गुज़िश्ता ने सताया मुझ को

रात भर चश्म-ए-गुहर-बार ने सोने न दिया

रात भर खुल न सका मुझ पे किसी तौर 'नदीम'

रात भर हुस्न-ए-पुर-असरार ने सोने न दिया

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In Hindi By Famous Poet Shahbaz Nadeem Ziai. is written by Shahbaz Nadeem Ziai. Complete Poem in Hindi by Shahbaz Nadeem Ziai. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.