Ghazals of Shahbaz Khwaja
नाम | शहबाज़ ख़्वाजा |
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अंग्रेज़ी नाम | Shahbaz Khwaja |
ज़िंदगी शब के जज़ीरों से उधर ढूँडते हैं
ये ज़र्द फूल ये काग़ज़ पे हर्फ़ गीले से
ये कार-ए-बे-समराँ मुझ से होने वाला नहीं
वो एक ख़्वाब कि आँखों में जगमगा रहा है
वफ़ा का शौक़ ये किस इंतिहा में ले आया
सो गया ओढ़ के फिर शब की क़बाएँ सूरज
सफ़र का एक नया सिलसिला बनाना है
सदा-ए-मुज़्दा-ए-ला-तक़नतू के धारे पर
मुश्किल तो न था ऐसा भी अफ़्लाक से रिश्ता
किसी ने देख लिया था जो साथ चलते हुए
ख़ाक-ज़ादा हूँ मगर ता-ब फ़लक जाता है
कड़े हैं हिज्र के लम्हात उस से कह देना
कब गवारा है मुझे और कहीं पर चमके
इक ऐसा वक़्त भी सहरा में आने वाला है
भटक रहे हैं ग़म-ए-आगही के मारे हुए
ऐसे रखती है हमें तेरी मोहब्बत ज़िंदा