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Shahbaz Khwaja Poetry In Hindi - Best Shahbaz Khwaja Shayari, Sad Ghazals, Love Nazams, Romantic Poetry In Hindi - Darsaal

शहबाज़ ख़्वाजा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शहबाज़ ख़्वाजा

शहबाज़ ख़्वाजा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शहबाज़ ख़्वाजा
नामशहबाज़ ख़्वाजा
अंग्रेज़ी नामShahbaz Khwaja

यूँ तो मुमकिन नहीं दुश्मन मिरे सर पर पहुँचे

वो एक तू कि तिरे ग़म में इक जहाँ रोए

सफ़र का एक नया सिलसिला बनाना है

मुझे ये ज़िद है कभी चाँद को असीर करूँ

मता-ए-जाँ हैं मिरी उम्र भर का हासिल हैं

कितने गुलशन कि सजे थे मिरे इक़रार के नाम

किसी ने देख लिया था जो साथ चलते हुए

इक ऐसा वक़्त भी सहरा में आने वाला है

ज़िंदगी शब के जज़ीरों से उधर ढूँडते हैं

ये ज़र्द फूल ये काग़ज़ पे हर्फ़ गीले से

ये कार-ए-बे-समराँ मुझ से होने वाला नहीं

वो एक ख़्वाब कि आँखों में जगमगा रहा है

वफ़ा का शौक़ ये किस इंतिहा में ले आया

सो गया ओढ़ के फिर शब की क़बाएँ सूरज

सफ़र का एक नया सिलसिला बनाना है

सदा-ए-मुज़्दा-ए-ला-तक़नतू के धारे पर

मुश्किल तो न था ऐसा भी अफ़्लाक से रिश्ता

किसी ने देख लिया था जो साथ चलते हुए

ख़ाक-ज़ादा हूँ मगर ता-ब फ़लक जाता है

कड़े हैं हिज्र के लम्हात उस से कह देना

कब गवारा है मुझे और कहीं पर चमके

इक ऐसा वक़्त भी सहरा में आने वाला है

भटक रहे हैं ग़म-ए-आगही के मारे हुए

ऐसे रखती है हमें तेरी मोहब्बत ज़िंदा

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