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हम क़ुव्वत-ए-जज़्ब-ए-दिल दिखाएँ - शहाबुद्दीन साक़िब कविता - Darsaal

हम क़ुव्वत-ए-जज़्ब-ए-दिल दिखाएँ

हम क़ुव्वत-ए-जज़्ब-ए-दिल दिखाएँ

और फिर वो हमारे घर न आएँ

क्या चीर के सीना-ए-दिल दिखाएँ

कुछ हाल सुनो तो हम सुनाएँ

ऐ बख़्त कहाँ तलक बुराई

ऐ चर्ख़ कहाँ तलक जफ़ाएँ

हम सीना-सिपर किए खड़े हैं

वो शौक़ से ख़ंजर आज़माएँ

जो काम में ग़ैर के हुईं सर्फ़

अफ़्सोस वो दिल-रुबा अदाएँ

शायद कि है गर्म-ए-नाला 'साक़िब'

चलती हैं शरर-फ़िशाँ हवाएँ

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In Hindi By Famous Poet Shahabuddin Saqib. is written by Shahabuddin Saqib. Complete Poem in Hindi by Shahabuddin Saqib. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.