Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_6613fd33e8e151887f2641ea020cc244, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दवाम - शहाब जाफ़री कविता - Darsaal

दवाम

मुझे आज महसूस यूँ हो रहा है

कि मैं मर गया हूँ

मिरा नाम कुछ भी हो मैं आम सा आदमी

इस से कुछ फ़र्क़ पड़ता नहीं

एक एहसास के मुख़्तलिफ़ नाम हैं

सारी दुनिया में जो शख़्स दुनिया से उट्ठा है वो मैं हूँ

मैं जिस ने देखा है हर शख़्स में ख़ुद को मरते हुए

मुझ को जिस तरह चाहो पुकारो कि वो मरने वाला तो मैं ही हूँ

लोगो शहादत से बढ़ कर मिरी मौत बे-लौस है

और किसी का मिरे पास कुछ भी नहीं

जब भी आया हूँ तुम सब में तुम बन के ज़िंदा रहा

और दुनिया से जाते हुए साथ सिर्फ़ अपना ग़म ले गया

ग़म जो दुनिया में ''मैं'' बन के फिर आएगा

(617) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Shahab Jafri. is written by Shahab Jafri. Complete Poem in Hindi by Shahab Jafri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.