Ghazals of Shahab Jafri
नाम | शहाब जाफ़री |
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अंग्रेज़ी नाम | Shahab Jafri |
जन्म की तारीख | 1928 |
ये महशर-ए-सोज़-ओ-साज़ क्या है
याद उस की है कुछ ऐसी कि बिसरती भी नहीं
शाम रखती है बहुत दर्द से बेताब मुझे
रुत्बा-ए-दर्द को जब अपना हुनर पहुँचेगा
क़ैद-ए-इम्काँ से तमन्ना थी गमीं छूट गई
मैं ही मैं बिखरा हुआ हूँ राह-ता-मंज़िल तमाम
इस धूप से क्या गिला है मुझ को
हिज्र-ओ-विसाल-ए-यार का मौसम निकल गया
हयात में भी अजल का समाँ दिखाई दे
हवस-ए-ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर लिए बैठे हैं
दिल पर वफ़ा का बोझ उठाते रहे हैं हम
दश्त-ए-ग़ुर्बत है तो वो क्यूँ हैं ख़फ़ा हम से बहुत
बे-सर-ओ-सामाँ कुछ अपनी तब्अ से हैं घर में हम
अब कहाँ ले के छुपें उर्यां बदन और तन जला