तुम थी मुझ में ही
मेरे अंदर
तुम्हारे होने ने ही
मुझे
तन्हाई का एहसास दिया
तुम मुझ में से ही हो
तुम्हें मैं ने जन्म दिया है
अपने ही जिस्म के हिस्से से
और
तुम्हारे ही जिस्म से
पैदा किया
मैं ने
अपने रूप को
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मेरा उस का साथ
दिल से
फ़रियाद
तेरी संग
मा'दूम होती ख़ुश्बू
'मीर'-ओ-'ग़ालिब' की तरह सेहर-बयाँ से निकले
जो मैं ने सोचा था
समुंदर का रास्ता
मेरी शाइ'री
मैं और तुम
मेरा शहर
दामन में आँसू मत बोना