रोज़-ए-ख़िज़ाँ चमन में जो देखा हज़ार के

रोज़-ए-ख़िज़ाँ चमन में जो देखा हज़ार के

इक मुश्त पर पड़े थे तले शाख़-सार के

यारान-ए-हम-नशीन-ओ-रफ़ीक़ान-ए-दोस्त-दार

सब आश्ना हैं ज़िंदगी-ए-मुस्तआ'र के

जब मुँद गई ये आँख तो ऐ दोस्त बा'द-ए-मर्ग

फटके है पास कौन किसी के मज़ार के

जो नक़्श-ए-पा रहे सो रहे फिर न उठ सके

'वाक़िफ़' की तरह हाए गिरे कू-ए-यार के

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In Hindi By Famous Poet Shah Waqif. is written by Shah Waqif. Complete Poem in Hindi by Shah Waqif. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.