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ज़ुल्फ़ का क्या उस की चटका लग गया - शाह नसीर कविता - Darsaal

ज़ुल्फ़ का क्या उस की चटका लग गया

ज़ुल्फ़ का क्या उस की चटका लग गया

ज़ोर-ए-दिल के हाथ लटका लग गया

तार-ए-मिज़्गाँ पर चला जाता है अश्क

काम पर लड़का ये नट का लग गया

चश्म-ओ-अबरू पर नहीं मौक़ूफ़ कुछ

जान-ए-मन दिल जिस का अटका लग गया

जाम-ए-गुल में क्यूँ न दे शबनम गुलाब

सुब्ह-दम ग़ुंचे को चटका लग गया

मंज़िल-ए-गुम-कर्दा इक मैं हूँ 'नसीर'

राह से जो कोई भटका लग गया

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In Hindi By Famous Poet Shah Naseer. is written by Shah Naseer. Complete Poem in Hindi by Shah Naseer. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.