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सन लेवे अगर तू मिरी दिलदार की आवाज़ - शाह आसिम कविता - Darsaal

सन लेवे अगर तू मिरी दिलदार की आवाज़

सुन लेवे अगर तू मिरी दिलदार की आवाज़

हरगिज़ न सुने फिर कभूँ मिज़मार की आवाज़

खुल जावें अगर कान तिरे दिल के तो बे-शक

हर सम्त से फिर आए तुझे यार की आवाज़

सुन कर वो सदा ताइर-ए-दिल की मिरे बोले

शायद कि ये है बुलबुल-ए-गुलज़ार की आवाज़

हो जावे कमाँ तीर-ए-फ़लक बार-ए-अलम से

सुन लेवे जो तेरे लब-ए-सोफ़ार की आवाज़

मुर्दे को जिला कर के बनावे है मसीहा

ऐ ईसा-ए-दौराँ तिरी रफ़्तार की आवाज़

सुनता हूँ मैं 'आसिम' शह-ए-ख़ादिम के लबों से

हर लहज़ा बदल शिबली और अत्तार की आवाज़

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In Hindi By Famous Poet Shah Aasim. is written by Shah Aasim. Complete Poem in Hindi by Shah Aasim. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.