है अयाँ रू-ए-यार आँखों में
है अयाँ रू-ए-यार आँखों में
छाई है क्या बहार आँखों में
शोले उठते हैं बार बार अजीब
कौन है शम्अ-वार आँखों में
कौन है शहसवार-ए-तौसन-ए-हुस्न
जिस का है ये ग़ुबार आँखों में
कैसी मय तू ने दी पिला मुझ को
अब तलक है ख़ुमार आँखों में
दिल है बुलबुल सिफ़त ब-नाला-ओ-आह
कौन है गुल-एज़ार आँखों में
शौक़ में किस की है निकल आया
दिल-ए-पुर-इज़्तिरार आँखों में
उबल आता है किस की शौक़ में आह
ख़ून-ए-दिल बार बार आँखों में
हर तरफ़ है अयाँ रुख़-ए-दिलदार
है ख़िज़ाँ नौ-बहार आँखों में
फ़ैज़-ए-ख़ादिम-सफ़ी से है 'आसिम'
जल्वा-गर हुस्न-ए-यार आँखों में
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