क़फ़स में रह के गुल-ओ-नस्तरन की बात करो
क़फ़स में रह के गुल-ओ-नस्तरन की बात करो
चमन से दूर हो लेकिन चमन की बात करो
अभी तो जज़्ब-ए-मोहब्बत की आज़माइश है
फ़रोग़-ए-इश्क़ की दार-ओ-रसन की बात करो
जले शबाब के तूफ़ाँ में शम-ए-तक़्वा क्या
बहार-ए-नौ की शराब-ए-कुहन की बात करो
ख़िलाफ़-ए-मसलक-ए-उलफ़्त है शिकवा-ए-साक़ी
न तिश्ना-कामी-ए-काम-ओ-दहन की बात करो
यहाँ फ़साना-ए-दैर-ओ-हरम से क्या हासिल
यहाँ तो साक़ी-ए-ईमाँ-शिकन की बात करो
अजब नहीं कि क़फ़स से रह-ए-चमन निकले
असीर रह के बहार-ए-चमन की बात करो
सुकूत-ओ-गोशा-नशीनी से 'क़ादरी' हासिल
सुख़न-वरों में कमाल-ए-सुख़न की बात करो
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