चर्चे हर इक ज़बान पे हुस्न-ए-बुताँ के हैं

चर्चे हर इक ज़बान पे हुस्न-ए-बुताँ के हैं

उनवाँ जुदा जुदा इसी इक दास्ताँ के हैं

फूलों के क़हक़हे हों कि फ़रियाद-ए-अंदलीब

दोनों ही सोज़-ओ-साज़ इसी गुलिस्ताँ के हैं

रहज़न अगर है घात में क्या शिकवा हम-सफ़ीर

ख़ुद अपने राहबर ही अदू कारवाँ के हैं

क्या ख़ाक होंगे इश्क़ की मंज़िल से आश्ना

कुश्ता हर इक क़दम पे जो सूद-ओ-ज़ियाँ के हैं

झुक जाए वालिहाना जहाँ ख़ुद जबीन-ए-शौक़

हम 'क़ादरी' तलाश में उस आस्ताँ के हैं

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In Hindi By Famous Poet Shaghil Qadri. is written by Shaghil Qadri. Complete Poem in Hindi by Shaghil Qadri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.