Ghazals of Shaghil Qadri
नाम | शाग़िल क़ादरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Shaghil Qadri |
वफ़ा के दाग़ को दिल से मिटा नहीं सकता
थी लगन सुनते तिरी शोख़ी-ए-पा की आहट
सोज़-ए-दरूँ हमारा ज़ाहिर न हो किसी पर
क़फ़स में रह के गुल-ओ-नस्तरन की बात करो
मेहमाँ है कोई दम का ज़माना शबाब का
मौसम-ए-गुल आ गया फिर दश्त-पैमाई रहे
कब मुझे ताला-ए-ना-साज़ पे रोना आया
चर्चे हर इक ज़बान पे हुस्न-ए-बुताँ के हैं
बला जाने किसी की हिज्र में इस दिल पे क्या गुज़री
अपने ख़ूँ का उन पे क्यूँ दा'वा किया