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सदियों तुम्हारी याद में शमएँ जलाएँगे - शफ़क़त तनवीर मिर्ज़ा कविता - Darsaal

सदियों तुम्हारी याद में शमएँ जलाएँगे

सदियों तुम्हारी याद में शमएँ जलाएँगे

पल भर के बा'द फिर भी तुम्हें भूल जाएँगे

ता'मीर मुद्दआ' तलब-ए-ज़ौक़ हो गई

बुनियाद-ए-दर्द होगी तो दीवार उठाएँगे

अब काहिश-ए-जुनूँ का कोई सिलसिला नहीं

हाँ बे-दिली से दस्त-ए-दुआ भी उठाएँगे

ऐ कारवान-ए-तेज़-क़दम माँदगाँ को देख

आँखों में क्या ग़ुबार-ए-सर-ए-रह सजाएँगे

लिक्खेंगे क़हक़हों से बस इक दास्तान-ए-दिल

उस पर हदीस-ए-दर्द का उनवाँ जमाएँगे

यूँही सही जो गर्मी-ए-बाज़ार हम से है

हम बेच कर ज़मीर-ए-नज़र मुस्कुराएँगे

या चाक-ए-दिल को चाक-ए-गरेबाँ बना सकें

या दुख़्तरान-ए-मिस्र से दामन बचाएँगे

क्या रख़्श-ए-उम्र हीला-ए-मर्ग-आश्ना नहीं

उट्ठेगी मौज-ए-रेग-ए-रवाँ डूब जाएँगे

हर्फ़-आशना न होगी कोई मौज-ए-दर्द-ए-दिल

सीने पे रख के हाथ मगर बैठ जाएँगे

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In Hindi By Famous Poet Shafqat Tanveer Mirza. is written by Shafqat Tanveer Mirza. Complete Poem in Hindi by Shafqat Tanveer Mirza. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.