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पलट पलट के मैं अपने पे ख़ुद ही वार करूँ - शफ़क़त सेठी कविता - Darsaal

पलट पलट के मैं अपने पे ख़ुद ही वार करूँ

पलट पलट के मैं अपने पे ख़ुद ही वार करूँ

वो मेरी ज़द में खड़ा है मैं क्या शिकार करूँ

घरों पे ख़ून छिड़कती हवा में गुज़री हैं

इबादतों को गिनूँ या गुनह शुमार करूँ

धुएँ के फूल मुंडेरों पे रोज़ खिलते हैं

मैं क्या रुतों के तग़य्युर पे ए'तिबार करूँ

परिंदे जब भी बसेरों को लौटते देखूँ

मैं घर में बैठ के अपना भी इंतिज़ार करूँ

मैं शब को तैरते तारों से ख़ौफ़ खा जाऊँ

मैं दिन को डूबते तिनकों पे इंहिसार करूँ

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In Hindi By Famous Poet Shafqat Sethi. is written by Shafqat Sethi. Complete Poem in Hindi by Shafqat Sethi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.