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हमारे हाल पे किस दिन जफ़ा नहीं करते - शफ़क़त काज़मी कविता - Darsaal

हमारे हाल पे किस दिन जफ़ा नहीं करते

हमारे हाल पे किस दिन जफ़ा नहीं करते

ये और बात कि वो बरमला नहीं करते

ये रंग-ओ-नूर की दुनिया नज़र-नवाज़ सही

तिरे फ़क़ीर मगर ए'तिना नहीं करते

ज़रूर कोई ख़ता हम से हो गई होगी

वो बे-सबब तो किसी पर जफ़ा नहीं करते

कभी तो उन को हमारा ख़याल आएगा

हम इस उम्मीद पे तर्क-ए-वफ़ा नहीं करते

उन्हीं से हम को मोहब्बत की दाद है मतलूब

वही जो पास-ए-मोहब्बत ज़रा नहीं करते

दर-ए-हबीब पे जाते हैं बारहा 'शफ़क़त'

दर-ए-हबीब पे लेकिन सदा नहीं करते

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In Hindi By Famous Poet Shafqat Kazmi. is written by Shafqat Kazmi. Complete Poem in Hindi by Shafqat Kazmi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.