बेगाना मिले है जब मिले हैं
बेगाना मिले है जब मिले हैं
यारों से हमें बहुत गिले हैं
याद आए हैं दोस्तों के मेले
जब फूल चमन चमन खिले हैं
शाकी हूँ मैं जिन की बे-रुख़ी का
अक्सर वही बे-मतलब मिले हैं
ये दाग़ ये ज़ख़्म बे-कसी के
शायद तिरी चाह के सिले हैं
इस तरह छुटी कि फिर न आई
हम को तिरी याद से गिले हैं
गुज़रे हैं नज़र बचा के 'शफ़क़त'
वो राह में जब कभी मिले हैं
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