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उम्र भर डोलती यादों की ज़िया से खेले - शफ़क़त बटालवी कविता - Darsaal

उम्र भर डोलती यादों की ज़िया से खेले

उम्र भर डोलती यादों की ज़िया से खेले

शम-ए-उम्मीद लिए तेज़ हवा से खेले

हम ने हर तरह से दिल-ए-ख़ून किया है अपना

आतिश-ए-मय से कभी जुर्म-ए-वफ़ा से खेले

तू वो इक आग जिसे हाथ लगाए न बने

दिल वो दीवाना कि इस सैल-ए-बला से खेले

उड़ गया रंग रुख़-ए-मौसम-ए-गुल का क्या क्या

ख़ुश्क पत्ते जो कभी बाद-ए-सबा से खेले

किस ने ज़ंजीर किया अब्र-ए-रवाँ को शफ़क़त

फ़स्ल-ए-गुल आई तो हम अपनी क़बा से खेले

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In Hindi By Famous Poet Shafqat Batalvi. is written by Shafqat Batalvi. Complete Poem in Hindi by Shafqat Batalvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.