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पानियों से रेत पर जो आ गया मेरी तरह - शफ़ीउल्लाह राज़ कविता - Darsaal

पानियों से रेत पर जो आ गया मेरी तरह

पानियों से रेत पर जो आ गया मेरी तरह

ज़िंदगी की धूप में जलता रहा मेरी तरह

उस के होंटों से भी अमृत की महक आने लगी

ग़ालिबन ज़हर-ए-हलाहल पी लिया मेरी तरह

आप को वो अपनी रहमत से नवाज़ेगा ज़रूर

सिद्क़-ए-दिल से माँगिये भी तो दुआ मेरी तरह

कोई पर्दे से निकल कर सामने आ जाएगा

शर्त लेकिन ये है तुम भी देखना मेरी तरह

साहिलों की क़ैद से आज़ाद हो सकता है तू

अपने दरिया में कोई तूफ़ाँ उठा मेरी तरह

कुफ़्र-ओ-बातिल की सफ़ों को चीर कर बाहर निकल

नाम अपना हक़ परस्तों में लिखा मेरी तरह

अंजुमन-दर-अंजुमन तफ़रीक़-ए-ख़ास-ओ-आम है

है कोई जो राज़ कह दे बरमला मेरी तरह

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In Hindi By Famous Poet Shafiullah Raz. is written by Shafiullah Raz. Complete Poem in Hindi by Shafiullah Raz. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.