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सवाल करता नहीं और जवाब उस की तलब - शफ़ीक़ सलीमी कविता - Darsaal

सवाल करता नहीं और जवाब उस की तलब

सवाल करता नहीं और जवाब उस की तलब

कि अन-कही का भी दोहरा अज़ाब उस की तलब

ज़मीन-ए-शोर से कोंपल नुमू की माँगता है

निहाल-ए-ख़ुश्क से ताज़ा गुलाब उस की तलब

वो आँख खुलने का भी इंतिज़ार करता नहीं

दरून-ए-ख़्वाब ही ताबीर-ए-ख़्वाब उस की तलब

विसाल-रुत का हर इक लम्हा उस के नाम किया

मगर है गुज़रे दिनों का हिसाब उस की तलब

'शफ़ीक़' दिन का उजाला तू पढ़ नहीं सकता

पस-ए-ग़ुरूब भी इक आफ़्ताब उस की तलब

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In Hindi By Famous Poet Shafiq Saleemi. is written by Shafiq Saleemi. Complete Poem in Hindi by Shafiq Saleemi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.