रहा शामिल जो मेरे रतजगों में कौन था वो
रहा शामिल जो मेरे रतजगों में कौन था वो
जो था तस्कीन-ए-जाँ तन्हाइयों में कौन था वो
मिरी आवाज़ जैसी और भी आवाज़ थी इक
यक़ीनन था कोई तो पर्बतों में कौन था वो
जो मेरे साथ पहुँचा मंज़िलों तक कौन है ये
जिसे मैं छोड़ आया रास्तों में कौन था वो
बहुत मिलता था मुझ से वार करने का तरीक़ा
जो इक मुझ सा था मेरे दुश्मनों में कौन था वो
वो तेरा ग़म था मेरा अक्स था या वाहिमा था
जो मेरे रू-ब-रू था आइनों में कौन था वो
कटे सर को हथेली पर सजाए घूमता था
मिरी बस्ती की ख़्वाबीदा शबों में कौन था वो
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