हम ज़मीन-ज़ादों को आसमाँ बना जाना
हम ज़मीन-ज़ादों को आसमाँ बना जाना
पहले ख़ाक कर देना और फिर उड़ा जाना
जिस्म से जुदा रहना रूह में समा जाना
कोई आप से सीखे जान पर बना जाना
बे-शुऊर साथी ने साहिलों के बासी ने
हम को सर-फिरा समझा दश्त की हवा जाना
और गर क़रीब आते नक़्श और धुँदलाते
क़ुर्बतों की दूरी को तुम ने फ़ासला जाना
बे-ज़मीर शहरों के बे-ज़मीर लोगों से
जो भी मिल गया हम को वो तिरी अता जाना
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