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Shafiq Saleemi Poetry In Hindi - Best Shafiq Saleemi Shayari, Sad Ghazals, Love Nazams, Romantic Poetry In Hindi - Darsaal

शफ़ीक़ सलीमी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शफ़ीक़ सलीमी

शफ़ीक़ सलीमी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शफ़ीक़ सलीमी
नामशफ़ीक़ सलीमी
अंग्रेज़ी नामShafiq Saleemi
जन्म की तारीख1941

वो जिन की छाँव में पले बड़े हुए

तीर ख़त्म हैं तो क्या हाथ में कमाँ रखना

टिक के बैठे कहाँ बेज़ार-तबीअत हम से

तेज़ आँधी ने फ़क़त इक साएबाँ रहने दिया

सवाल करता नहीं और जवाब उस की तलब

सारी ताबीरें हैं उस की सारे ख़्वाब उस के लिए

सर में एक सौदा था बाम-ओ-दर बनाने का

साहब-ए-ज़र न सही साहब-ए-इज़्ज़त हैं अभी

रुकूँ तो रुकता है चलने पे साथ चलता है

रहा शामिल जो मेरे रतजगों में कौन था वो

कुंज-ए-तन्हाई बसाए हिज्र की लज़्ज़त में हूँ

किसी के हाथ पर तहरीर होना

ख़ल्क़-ए-ख़ुदा है शाह की मुख़्बर लगी हुई

जो भी हम से बन पड़ा करते रहे

इन बला की आँधियों में इक शजर बाक़ी रहे

हम ज़मीन-ज़ादों को आसमाँ बना जाना

गाँव रफ़्ता रफ़्ता बनते जाते हैं अब शहर

इक पल भी मिरे हाल से ग़ाफ़िल नहीं ठहरा

देख कर उस को मुझे धचका लगा

बे-नाम दयारों से हम लोग भी हो आए

बे-नाम दयारों का सफ़र कैसा लगा है

बजा कि हर कोई अपनी ही अहमियत चाहे

बचा था एक जो वो राब्ता भी टूट गया

अब जा कर एहसास हुआ है प्यार भी करना था

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