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मुझ से आँखें लड़ा रहा है कोई - शफ़ीक़ ख़लिश कविता - Darsaal

मुझ से आँखें लड़ा रहा है कोई

मुझ से आँखें लड़ा रहा है कोई

मेरे दिल में समा रहा है कोई

है तिरी तरह रोज़ राहों में

मुझ से तुझ को छुड़ा रहा है कोई

फिर हुए हैं क़दम ये मन मन के

पास अपने बुला रहा है कोई

निकलूँ हर राह से उसी की तरफ़

रास्ते वो बता रहा है कोई

क्या निकल जाऊँ अहद-ए-माज़ी से

याद बचपन दिला रहा है कोई

फिर से उल्फ़त नहीं है आसाँ कुछ

भूले नग़्मे सुना रहा है कोई

धड़कनें तेज़ होती जाती हैं

मेरे नज़दीक आ रहा है कोई

वो जो कहता है भूल जाऊँ ख़लिश

वक़्त उस पर कड़ा रहा है कोई

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In Hindi By Famous Poet Shafiq Khalish. is written by Shafiq Khalish. Complete Poem in Hindi by Shafiq Khalish. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.