Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_1e4737a53f914684b72827cd7845fe47, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
भरी महफ़िल में तन्हाई का आलम ढूँड लेता है - शफ़ीक़ ख़लिश कविता - Darsaal

भरी महफ़िल में तन्हाई का आलम ढूँड लेता है

भरी महफ़िल में तन्हाई का आलम ढूँड लेता है

जो आए रास दिल अक्सर वो मौसम ढूँड लेता है

किसी लम्हे अकेला-पन अगर महसूस हो दिल को

ख़याल-ए-यार के दामन से कुछ ग़म ढूँड लेता है

किसी रुत से रहे मशरूत कब हैं रोज़-ओ-शब मेरे

जहाँ जैसा ये चाहे दिल वो मौसम ढूँड लेता है

ग़म-ए-फ़ुर्क़त का दिल को बोझ करना हो अगर हल्का

सुनाने को तिरे क़िस्से ये हमदम ढूँड लेता है

जुदाई कब रही मुमकिन किसी हालत कोई सूरत

मुझे महफ़िल हो तन्हाई तिरा ग़म ढूँड लेता है

रहे यूँ नाज़ अपने ज़ेहन पर लाहक़ ग़मों में भी

ख़ुशी का इक न इक पहलू ये ताहम ढूँड लेता है

ख़याल-ए-यार ही दरमाँ ग़म-ए-फ़ुर्क़त के ज़ख़्मों का

कि बीते साथ लम्हों से ये मरहम ढूँड लेता है

(655) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Shafiq Khalish. is written by Shafiq Khalish. Complete Poem in Hindi by Shafiq Khalish. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.