ये पड़ाव आज हो आख़िरी क्या ख़बर
ये पड़ाव आज हो आख़िरी क्या ख़बर
रन पड़े आज की रात ही क्या ख़बर
आज कोई तनाबें गया काट कर
कल कोई मारे शब-ख़ून भी क्या ख़बर
हम तो रख़्त-ए-सफ़र बाँध के ही रहे
क़ाफ़िला चल पड़ा किस गली क्या ख़बर
आ रहे हैं ज़रा देर तू ठहर जा
ये सदा थी मिरे शहर की क्या ख़बर
किस कमीं-गाह में छुप गया है अदू
किस तरफ़ से करे वार भी क्या ख़बर
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