Ghazals of Shafaq Supuri
नाम | शफ़क़ सुपुरी |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Shafaq Supuri |
जन्म स्थान | Shrinagar |
ये पड़ाव आज हो आख़िरी क्या ख़बर
ये क्या कि मेरे यक़ीं में ज़रा गुमाँ भी है
ये इश्क़ भी अजीब है इक आन हो गया
सरों पे साया ग़ुबार-ए-सफ़र के जैसा है
मुझे किसी पे मोहब्बत का कुछ गुमाँ सा है
मौज-दर-मौज सफ़ीनों से है धारा रौशन
मौज-दर-मौज सफ़ीनों से है धारा रौशन
मैं हम-नफ़स हूँ मुझे राज़-दाँ भी करना था
कुछ सबील-ए-रिज़्क़ हो फिर कहीं मकाँ भी हो
ख़स-ओ-ख़ाशाक-ए-बदन शाम-ए-क़ज़ा से रौशन
ख़स-ओ-ख़ाशाक-ए-बदन शाम-ए-क़ज़ा से रौशन
कहीं कुछ और भी है ख़्वाहिश-ए-दिगर के बा'द
डूबने वाला क्या न कर डूबे
चमन की ख़ाक पे मौज-ए-बला ने रक़्स किया
आँखों से मअ'नी-ए-सुख़न-ए-मीर देखते