राह-ए-दुश्वार में चलना सीखो
राह-ए-दुश्वार में चलना सीखो
रुख़ ज़माने का बदलना सीखो
ज़िंदगी ख़ुद ही सँवर जाएगी
ग़म के साँचे में तो ढलना सीखो
मय-परस्ती की है इस में तौहीन
पी लिया है तो सँभलना सीखो
तीरगी आप ही छट जाएगी
बन के ख़ुर्शीद निकलना सीखो
दिल को पत्थर न बनाओ अपने
मोम की तरह पिघलना सीखो
हो के सरगर्म-ए-अमल ऐ 'शाइर'
नज़्म आलम का बदलना सीखो
(575) Peoples Rate This