राह-ए-दुश्वार में चलना सीखो

राह-ए-दुश्वार में चलना सीखो

रुख़ ज़माने का बदलना सीखो

ज़िंदगी ख़ुद ही सँवर जाएगी

ग़म के साँचे में तो ढलना सीखो

मय-परस्ती की है इस में तौहीन

पी लिया है तो सँभलना सीखो

तीरगी आप ही छट जाएगी

बन के ख़ुर्शीद निकलना सीखो

दिल को पत्थर न बनाओ अपने

मोम की तरह पिघलना सीखो

हो के सरगर्म-ए-अमल ऐ 'शाइर'

नज़्म आलम का बदलना सीखो

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In Hindi By Famous Poet Shaer Fatahpuri. is written by Shaer Fatahpuri. Complete Poem in Hindi by Shaer Fatahpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.