तस्वीर मिरी है अक्स तिरा तू और नहीं मैं और नहीं
तस्वीर मिरी है अक्स तिरा तू और नहीं मैं और नहीं
कर ग़ौर तू अपने दिल में ज़रा तू और नहीं मैं और नहीं
तस्बीह ने जिस दम फ़ख़्र किया दानों में वहीं डोरे को दिखा
ज़ुन्नार ने इस रिश्ते से कहा तू और नहीं मैं और नहीं
इस बाग़ में तू ऐ बर्ग-ए-हिना हँसने पे मिरे ज़ख़्मों के न जा
रोने में लहू ख़ंदाँ हों क्या तू और नहीं मैं और नहीं
हर एक जवाहिर बेश-बहा चमका तो ये पत्थर कहने लगा
जो संग तिरा वो संग मिरा तू और नहीं मैं और नहीं
ऐ 'शाद' मिरा पुतला जो बना मिल आतिश-ओ-ख़ाक-ओ-आब-ओ-हवा
हर चार अनासिर ने ये कहा तू और नहीं मैं और नहीं
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