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हम से दो-चार बज़्म में ध्यान और की तरफ़ - शाद लखनवी कविता - Darsaal

हम से दो-चार बज़्म में ध्यान और की तरफ़

हम से दो-चार बज़्म में ध्यान और की तरफ़

आँख इस तरफ़ लगाई है कान और की तरफ़

अबरू से हम शहीद मिज़ा से रक़ीब हूँ

तलवार इधर लगाइए बान और की तरफ़

सैद-ए-ज़बूँ वो हूँ जो रवाँ तीर इधर हुआ

उस की क़ज़ा ने बोली कमान और की तरफ़

हम बेकसों की क़ब्र सिवा हरगिज़ ऐ फ़लक

नम-गीर को न अब्र के तान और की तरफ़

यारब करे जो हुस्न की ख़ैरात वो सनम

मेरे सिवा करे नहीं दान और की तरफ़

उतरे न किस तरह मिरी आँखों में ख़ून 'शाद'

देता मुझे दिखा के है पान और की तरफ़

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In Hindi By Famous Poet Shad Lakhnavi. is written by Shad Lakhnavi. Complete Poem in Hindi by Shad Lakhnavi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.