ऐ बद-गुमाँ तिरा है गुमाँ और की तरफ़
ऐ बद-गुमाँ तिरा है गुमाँ और की तरफ़
मेरा तिरे सिवा नहीं ध्याँ और की तरफ़
नावक मुझे रक़ीब को बर्छी लगाइए
तीर उस तरफ़ चले तो सिनाँ और की तरफ़
मुझ को सुना के ग़ैर के ऊपर पलट पिरो
पलटो जो गुफ़्तुगू में ज़बाँ और की तरफ़
हूर-ओ-परी पे क्या है हमारा सिवाए यार
दिल और की तरफ़ है न जाँ और की तरफ़
घर दिल में तू हमारे ख़ुदा के लिए न ले
ऐ ख़ानुमाँ-ख़राब मकाँ और की तरफ़
हम फ़ाक़ा-मस्त रिज़्क-ए-मुक़द्दर पे शाद हैं
भेजे ख़ुदा तआ'म के ख़्वाँ और की तरफ़
उर्दू में 'मुसहफ़ी' को भी उस्ताद कह के 'शाद'
आवाज़ा कस गया ये जवाँ और की तरफ़
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