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अहल-ए-ईमाँ से न काफ़िर से कहो - शाद लखनवी कविता - Darsaal

अहल-ए-ईमाँ से न काफ़िर से कहो

अहल-ए-ईमाँ से न काफ़िर से कहो

ऐ बुतो लेकिन ख़ुदा-लगती कहो

गर मिलें यारान-ए-रफ़्ता पूछिए

मर गए पर किस तरह गुज़री कहो

पाइमालो इश्क़ में क्यूँकर कटी

कोहकन से सरगुज़श्ते अपनी कहो

चश्म-ए-तर पर दज्ला-ओ-जीहूँ में क्या

अब्र सी छा जाए जो फबती कहो

शम-ओ-परवाना जो पूछें सोज़-ए-इश्क़

अपनी बीती या मिरी बीती कहो

पीट पीछे बद कहो ऐ आइनो

रू-ब-रू उस के न मुँह-देखी कहो

मुँह लपेटे गोशा-ए-मरक़द में 'शाद'

क्यूँ पड़े चुप हो है कैसा जी कहो

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In Hindi By Famous Poet Shad Lakhnavi. is written by Shad Lakhnavi. Complete Poem in Hindi by Shad Lakhnavi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.