Rubaais of Shad Azimabadi
नाम | शाद अज़ीमाबादी |
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अंग्रेज़ी नाम | Shad Azimabadi |
जन्म की तारीख | 1846 |
मौत की तिथि | 1927 |
ये वहम किसी तरह न माक़ूल हुआ
तारीफ़ बताऊँ शेर की क्या क्या है
तन्हा है चराग़ दूर परवाने हैं
शहरों में फिरे न सू-ए-सहरा निकले
सौ तरह का मेरे लिए सामान क्या
साक़ी के करम से फ़ैज़ ये जारी है
रौशन है कि शाद-ए-सुख़न-आरा मैं हूँ
मज़मूँ मेरे दिल में बे-तलब आते हैं
क्यूँ-कर न रहे ग़म-ए-निहानी तेरा
क्यूँ बात छुपाऊँ रिंद-ए-मय-नोश हूँ मैं
क्या मुफ़्त ज़ाहिदों ने इल्ज़ाम लिया
जो चाहिए देखना न देखा मैं ने
जिस वक़्त का डर था वो शबाब आ पहुँचा
जिस दिल में ग़ुबार हो वो दिल साफ़ कहाँ
इस सिलसिला-ए-शुहूद को तोड़ दिया
हर तरह की दिल में चाह कर के छोड़े
हर हाल में आबरू-ए-फ़न लाज़िम है
हक़्क़ा कि वो जादा-ए-वफ़ा से भी फिरा
हादी हूँ मैं काम है हिदायत मेरा
दिल मोरिद-ए-ईज़ा-ओ-बला होता है
चालाक हैं सब के सब बढ़ते जाते हैं
बाज़ अहल-ए-वतन से अब भी दुख पाता हूँ
बदले न सदाक़त का निशाँ एक रहे
अर्बाब-ए-क़ुयूद तुझ को क्या देखेंगे
अख़्लाक़ से जहल इल्म-ओ-फ़न से ग़ाफ़िल