तन्हा है चराग़ दूर परवाने हैं
अपने थे जो कल आज वो बेगाने हैं
बे-रंगी-ए-दुनिया का न पूछो अहवाल
क़िस्से हैं कहानियाँ हैं अफ़्साने हैं
Anwar Masood
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Habib Jalib
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
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भरे हों आँख में आँसू ख़मीदा गर्दन हो
हरगिज़ कभी किसी से न रखना दिला ग़रज़
दिल मोरिद-ए-ईज़ा-ओ-बला होता है
क्यूँ हो बहाना-जू न क़ज़ा सर से पाँव तक
कहते हैं अहल-ए-होश जब अफ़्साना आप का
क्यूँ-कर न रहे ग़म-ए-निहानी तेरा
कौन सी बात नई ऐ दिल-ए-नाकाम हुई
हज़ार शुक्र मैं तेरे सिवा किसी का नहीं
हूँ इस कूचे के हर ज़र्रे से आगाह
बदले न सदाक़त का निशाँ एक रहे
सुनी हिकायत-ए-हस्ती तो दरमियाँ से सुनी
अब भी इक उम्र पे जीने का न अंदाज़ आया