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तमन्नाओं में उलझाया गया हूँ - शाद अज़ीमाबादी कविता - Darsaal

तमन्नाओं में उलझाया गया हूँ

तमन्नाओं में उलझाया गया हूँ

खिलौने दे के बहलाया गया हूँ

हूँ इस कूचे के हर ज़र्रे से आगाह

इधर से मुद्दतों आया गया हूँ

नहीं उठते क़दम क्यूँ जानिब-ए-दैर

किसी मस्जिद में बहकाया गया हूँ

दिल-ए-मुज़्तर से पूछ ऐ रौनक़-ए-बज़्म

मैं ख़ुद आया नहीं लाया गया हूँ

सवेरा है बहुत ऐ शोर-ए-महशर

अभी बेकार उठवाया गया हूँ

सताया आ के पहरों आरज़ू ने

जो दम भर आप में पाया गया हूँ

न था मैं मो'तक़िद एजाज़-ए-मय का

बड़ी मुश्किल से मनवाया गया हूँ

लहद में क्यूँ न जाऊँ मुँह छुपा कर

भरी महफ़िल से उठवाया गया हूँ

कुजा मैं और कुजा ऐ 'शाद' दुनिया

कहाँ से किस जगह लाया गया हूँ

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In Hindi By Famous Poet Shad Azimabadi. is written by Shad Azimabadi. Complete Poem in Hindi by Shad Azimabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.