Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_b9a70d0fa80135e4e0b555b2277a68e4, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
बदल चुकी है हर इक याद अपनी सूरत भी - शबनम शकील कविता - Darsaal

बदल चुकी है हर इक याद अपनी सूरत भी

बदल चुकी है हर इक याद अपनी सूरत भी

वो अहद-ए-रफ़्ता का हर ख़्वाब हर हक़ीक़त भी

कुछ उन के काम निकलते हैं दुश्मनी में मिरी

मैं दुश्मनों की हमेशा से हूँ ज़रूरत भी

किसी भी लफ़्ज़ ने थामा नहीं है हाथ मिरा

मैं पढ़ के देख चुकी आख़िरी इबारत भी

ये जिस ने रोक लिया मुझ को आगे बढ़ने से

वो मेरी बे-ग़रज़ी थी मिरी ज़रूरत भी

मिरी शिकस्ता-दिली ही ब-रू-ए-कार आई

वगर्ना वक़्त तो करता नहीं रिआयत भी

मैं अपनी बात किसी से भी कर न पाऊँगी

मुझे तबाह करेगी ये मेरी आदत भी

मैं कैसे बात भला दिल की मान लूँ 'शबनम'

कि उस को मुझ से मोहब्बत भी थी अदावत भी

ये मेरा इज्ज़ कि दिल में उसे उतरने दिया

ये उस का मान कि माँगी नहीं इजाज़त भी

(508) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Shabnam Shakeel. is written by Shabnam Shakeel. Complete Poem in Hindi by Shabnam Shakeel. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.