मुसाफ़िर सितारा
सितारे
कितनी शिद्दत से चमकता है बदन तेरा
अबद के साहिलों पर
या अज़ल की जल्वा-गाहों में
कहीं नर्सल के जंगल में
किसी महमिल की राहों में
किसी चश्मे के पानी पर
किसी मंज़र की शबनम में
किसी हिजरत के सहरा में
किसी फ़ुर्क़त के आलम में
सितारे
उस सफ़र में तू ने कैसे नक़्श देखे हैं
कि जिन की ताब से
यूँ जगमगा उठ्ठा बदन तेरा
सितारे
कितनी शिद्दत से चमकता है बदन तेरा
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