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सदा रहेगी यही रवानी रवाँ है पानी - शब्बीर शाहिद कविता - Darsaal

सदा रहेगी यही रवानी रवाँ है पानी

सदा रहेगी यही रवानी रवाँ है पानी

बहाओ इस का है जावेदानी रवाँ है पानी

बहाव में बह रहे हैं मौसम निगाह मंज़र

बहाए जाता है सब को पानी रवाँ है पानी

कभी थे इन रास्तों में क़र्ये मकान चेहरे

ये दास्ताँ है मगर पुरानी रवाँ है पानी

न अब वो साहिल न अब वो हस्ती न वो फ़सीलें

न उस ज़मीं की कोई निशानी रवाँ है पानी

वहाँ वो अक़्लीम जिस पे सिक्का रवाँ था अपना

यहाँ हवाओं की हुक्मरानी रवाँ है पानी

वो रात दिन भी इसी रवानी में बह चुके हैं

बिखर चुकीं वो रुतें सुहानी रवाँ है पानी

यहाँ मैं दोहरा रहा हूँ पहले सफ़र की बातें

मगर कहाँ अब वो शादमानी रवाँ है पानी

ये अश्क धुँदला रहे हैं पैहम मिटा रहे हैं

निगाह में याद की कहानी रवाँ है पानी

वो महफ़िलें हैं न अब वो साथी रहे हैं बाक़ी

न अब वो बचपन न वो जवानी रवाँ है पानी

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In Hindi By Famous Poet Shabbir Shahid. is written by Shabbir Shahid. Complete Poem in Hindi by Shabbir Shahid. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.