मैं भी रौशन दिमाग़ रखता हूँ

मैं भी रौशन दिमाग़ रखता हूँ

चाँद जैसा चराग़ रखता हूँ

मेरे होंटों पे मुस्कुराहट है

गरचे सीने में दाग़ रखता हूँ

क्या मिरे पास काम पतझड़ का

दिल में सरसब्ज़ बाग़ रखता हूँ

मुझ से कुछ तुम छुपा न पाओगे

एहतिमाम-ए-सुराग़ रखता हूँ

प्यास कैसे मुझे लगे 'नाक़िद'

इक लबालब अयाग़ रखता हूँ

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In Hindi By Famous Poet Shabbir Naqid. is written by Shabbir Naqid. Complete Poem in Hindi by Shabbir Naqid. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.